किस रंग में बेरंग हो?
न सोच न समझ , न सच न झलक , न मंज़िल न कोई रास्ता , क्यूँ बेरंग से बढ़ रहे , किस रंग में बेरंग हो तुम ? किस रंग में ? न माता न पिता , बस हैं कुछ दोस्त साथी , जो आज हैं , पर देखा न उनके संग कल , वो जाने हैं आज क्या हुआ , पर न भनक उन्हे बीते हुए कल की , क्यूँ बेरंग से बढ़ रहे ? किस रंग में बेरंग हो ? किस रंग में ? आज का दिन गुलाल का था , न था लहू का , न था हिंसा का , न था मदिरा का , न था गुमने का , कहाँ से आए ये रंग ज़िंदगी में ? किस रंग में बेरंग हो तुम ? किस रंग में ? किस रंग में ? किस रंग में ... © के॰ हरीश सिंह 2013