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the sun

The Sun was never interested in creating shades. It always wanted to spread plain SUNSHINE...

कौन जीता?

(monologue) सुभाष कक्षा में हर बार सबसे अव्वल नंबर लता था , पर इस्स बार मैंने परीक्षा में बहुत अच्छा किया था , अरे मेहनत जो की थी। तो आज था वो दिन... हुमे अपने अंक मिलने वाले थे। मैं स्कूल के लिए उस दिन जल्दी उठा , कुछ उम्मीद और बहोत सारी उमंग के साथ । बाबा प्लांट में काम करते थे , और माँ मेरी दो छोटी बहनों के साथ , पूरा दिन घर में बिताती। हमारा घर प्लांट के बहुत पास था , बाबा आराम से उठते और चल देते काम पर। मेरा स्कूल इस इलाके से थोड़ा दूर था , तो मुझे कुछ जल्दी ही निकालना पड़ता , बाबा की साइकलपर बैठ , मैं रोज़ की तरह , उसस दिन भी निकाल पड़ा , की क्या पता मेरे नंबर सुभाष से अछे आए हैं। क्या पता! तो मास्टर जी एक-एक कर सबके अंक बताने लगे। पूरी कक्षा बैठी थी सांस थाम , मन-ही-मन जप रही थी ऊपर वाले का नाम। 50 में से किसी के 25 तो किसी के तीस , और फिर आया सुभाष का नाम 45 नंबर । मास्टर जी बहोत खुश थे , और मैं बिलकुल भी नहीं , सारी कक्षा ने तालियाँ बजाई , तो मुझे भी बजाना ही पड़ा। कहीं सुभाष इस बार भी अव्वल तो नहीं ह...

अंधेरा

हम तो बस यूं ही  अंधेरे में रोशनी ढूंढ रहे थे, हुमे क्या पता था की हुमे अंधेरा इतना भा जाएगा।

Photostream!

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A recent visit to Haji Ali, Mumbai  Though the surrounding were untidy and dirty, but the 15th century Dargah was serene inside. More images clicked by me on my Flick photostream... My Flickr Photoctream

The 'shift' phase!

So, now there is a new phase. The moment I had finished my diploma film, I had started working in Delhi. It was nice to come back to Delhi (especially in the winters!). I seriously had no idea about the 'industry' in Delhi. There were many things I saw and learnt in these last 7 months of working in Delhi. Now, the problem is that I am getting bored of this city. And moreover, the kind of work I want to do happens in Mumbai. So, very recently I took this very important decision of SHIFTING to MUMBAI!  (As if there are people waiting for me in Mumbai to come and join their PROJECTS! Ha!) As I try to figure out things for Mumbai (I prefer 'Mumbai' over 'Bombay'. You see 'Mumbai' sounds very raw, pretty much like the city!) I am in the process of wrapping up my work in Delhi. I have been burning the midnight oil to finish the edit of this documentary which I am making for an NGO. I'll be very honest...It's a BORING topic! But  you know, Work is W...

A good hall, a bad movie!

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In a recent trip to Mumbai, we came up with a random plan to watch Agneepath. Looking at the way Hrithik Roshan was throwing parties to celebrate the film's first week, I was quite excited for the film. Eros theater is this single-screened cinema hall in South Mumbai. Yes, SINGLE-SCREEN! There are many things I love about a single-screen movie hall, but what attracts me the most is the size of the screen, and a result, the size of the hall. You look at such halls and you realize why FILM is a BIG-screen medium. Eros Cinema, Mumbai Though there are multiplexes coming up with halls with better picture quality and Dolby sound, but when it comes to size, they are not even close to the single-screen halls. We took a balcony seat. From the balcony I could see the stalls down there and everyone seated in the hall. This is the second thing I love about huge single-screen halls. When you see so many people in the hall, you are glad that you're watching the film with so many pe...

कौन गहरा ज़्यादा?

कौन गहरा ज़्यादा? वो चमचमाता समुंदर, अंदर जिसके, बसते कई अनजाने से शहर? या वो तेज़ बहती नदी, गुणगान में जिसके जलते वो अनगिनत दिये, और गाये जाते वो असंख्य गान? कौन गहरा ज़्यादा? क्या वो खाई गहरी, भीतर जो छिपाय बैठी, पर्वत के सुंदर राज़? या वो ज्वालामुखी, जो दबाय बैठा है शतकों की आग, मन में अपने? कौन गहरा ज़्यादा? क्या ये आसमां ज़्यादा गहरा, जिसमे समा जाता, वो शीतल चंद्रमा उस खौलते सूरज संग? और वो तारे मानो सपने हो... टिमटिमाते, चमकते, छोटे...पर अनगिनत, सपने ही हो। या गहरा वो कुआँ, जो नानी के घर में, पीढ़ियों से शांत बैठा है, कई कहानियाँ छिपाय, राजाओं की, कहानियाँ गहराई की? कौन गहरा ज़्यादा? गहरी तो है उड़ान, उस कौवे की, जो न देखती कोई मुल्क, न कोई मजहब, देखती तो बस वो भूख, उड़ान भूख की। या शायद गहरी है मेरी नींद, अनजाने ख्वाबों में जो ले जाती किसी और लोक में, बंद आँखों से मुझे इतना कुछ दिखलाती, खुली आँखों से जो मैं सोच भी न पता। कौन गहरा ज़्यादा? गहरी है कहानियाँ, जिनके अंत दे जाते सीख? या गहरा है हर दिन, जिसके अंत में है,  अगले दिन के शु...