खुशियाँ

उँगलियों के बीच छिपी थी खुशियाँ,
बंद मुट्ठी से कभी बाहर न आ सकीं।
बस ज़रूरत थी तो उन खुले हथेलियों की ...

Comments

Popular posts from this blog

The TEA garden visit!

With TIME...

Memories of my 'Chhote Mama'!